कुपोषण के विरुद्ध लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा पोषण पुनर्वास केंद्र।
पोषण पुनर्वास केंद्र पर उपचार से अब तक 1047 बच्चों को कुपोषण से मिली मुक्ति।
रामपुर । भारत सरकार और प्रदेश सरकार द्वारा कुपोषण के विरुद्ध लड़ाई को प्रभावी तरीके से जारी रखने और बच्चों को सुपोषित बनाने की दिशा में लगातार विभिन्न स्तरों पर व्यापक कार्य योजना तैयार कर प्रभावी तरीके से लागू कराई जा रही है। बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए जनपद में जिला चिकित्सालय परिसर में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित है जो कि गंभीर अति कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण पुनर्वासन के लिए बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री राजेश कुमार ने बताया कि शासन द्वारा सुपोषण के लिए निर्धारित गतिविधियों के आयोजन के साथ साथ जनपद में जिलाधिकारी श्री रविन्द्र कुमार मादड़ के निर्देशानुसार भी अनेक अभिनव प्रयास करके कुपोषण के विरुद्ध लड़ाई को प्रभावी बनाया जा रहा है। जनपद में आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों के स्वास्थ्य स्तर की नियमित रूप से मानिटरिंग कराई जा रही है। मॉनिटरिंग के दौरान निर्धारित मानकों के अनुकूल बच्चों का उम्र के साथ शारीरिक विकास न होने पर उन्हें जनपद स्तर पर संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में एडमिट करने के लिए भेजा जाता है।
पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों को न्यूनतम 14 दिवस तक भर्ती करके उसके स्वास्थ्य और पोषण की लगातार निगरानी की जाती है। पोषण पुनर्वास केंद्र के प्रभारी मेडिकल ऑफिसर डॉ हैदर ने बताया कि जनपद में मार्च 2015 से पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित है और अब तक इस पुनर्वास केंद्र के माध्यम से 1047 बच्चों को स्वास्थ्य उपचार सेवाएं मुहैया कराई जा चुकी है।
उन्होंने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि जनपद में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर चिन्हित बच्चों के साथ-साथ ओपीडी में आने वाले बच्चे और आरबीएसके की टीमें भी गंभीर अति कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने में सहयोग प्रदान करती हैं।
पुनर्वास केंद्र में आने वाले बच्चे का लंबाई के अनुपात में वजन के साथ ही अन्य विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य मानकों पर परीक्षण कराया जाता है। इन स्वास्थ्य परीक्षणों के आधार पर चिन्हित कमियों में सुधार लाने के लिए बच्चे का उपचार प्रारंभ किया जाता है। ऐपेटाइट टेस्ट के आधार पर बच्चे के कुपोषण होने की वजह पता चलती है और कमियों को चिन्हित करके बच्चे की भर्ती होने के दौरान की डाइट का निर्धारण किया जाता है।
उन्होंने बताया कि बच्चे को न्यूनतम 14 दिन के लिए भर्ती करने का प्रावधान है इस भर्ती अवधि के दौरान ऐसा प्रयास होता है कि बच्चे के वजन में उसके कुल वजन से 15 प्रतिशत वृद्धि होनी चाहिए। कभी-कभी कुछ अन्य बीमारियों की वजह से जब बच्चे के स्वास्थ्य में लक्ष्य के सापेक्ष सुधार नहीं होता है तो उसकी बीमारियों को चिन्हित करके उनका इलाज किया जाता है इसके लिए अग्रिम 14 दिनों तक बच्चे को भर्ती कर लिया जाता है। सरकार के इस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को नि:शुल्क उपचार के साथ-साथ उनमें जरूरत के अनुसार ब्लड ट्रांसफ्यूजन की सुविधा भी पोषण पुनर्वास केंद्र में उपलब्ध है। कुपोषण की गंभीरता को समझने और जरूरत के अनुसार अपने बच्चों को भर्ती कराने के लिए लोगों को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है।
जो बच्चे पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती होते हैं उनकी माताओं को प्रतिदिन के अनुसार 50 रुपए अर्थात न्यूनतम 14 दिन के लिए 700 रुपए प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाते हैं। यह धनराशि बच्चे की माता को उनके बैंक खाते में भेजे जाते हैं। पोषण पुनर्वास केंद्र से स्वस्थ होने के बाद भी बच्चे का फॉलोअप लेने के लिए प्रत्येक 15 दिवस के अंतराल पर चार बार बुलाया जाता है, इसके लिए भी बच्चे की माता को प्रत्येक बार आने के लिए 100 रुपए बैंक खाते पर भेजे जाते हैं।