कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान को बिलासपुर से रवाना हुआ श्रद्धालुओं का जत्था



बिलासपुर । भगवान विष्णु को प्रिय कार्तिक मास की पूर्णिमा सोमवार 30 नवंबर को है।
भगवान विष्णु को प्रिय कार्तिक मास की पूर्णिमा 08 नवम्बर को है। कार्तिक मास को पुण्य मास माना जाता है। इससे कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान व दान का खास महत्व है। इस तिथि को नगर बिलासपुर से पंडित राम मनोहर पाठक के नेतृव में बिलासपुर से 35 से अधिक महिलाओं का जत्था शुक्रवार को नैनी दून शताब्दी ट्रेन से गंगा स्नान करने रवाना हुए । वे गंगा में पूरे विधि विधान व आस्था की डुबकी लगाएंगे।
कार्तिक पूर्णिमा पर हरिद्वार में पूजा व स्नान का विशेष महत्व है। इसलिए वहां लाखों लोग स्नान व पूजन को जुटते हैं। इसके साथ ही विभिन्न नदियों व पवित्र सरोवर में स्नान कर मंदिरों में पूजा अर्चना के साथ घरों में सत्यनारायण पूजा का आयोजन किया जाएगा
यस्मिन् मासे पौर्णमासी येन धिष्णेनसंयुता। तन्नक्षत्राह्वयो मास: पौर्णमास-तदुच्यते।
जिस महीने की पूर्णिमा को जो नक्षत्र हो, उस महीने को उसी नक्षत्र के नाम से जाना जाए. जैसे चित्रा से चैत्र, विशाखा से वैशाख और कृतिका नक्षत्र से कार्तिक महीना बना है.
कार्तिक पूर्णिमा 2022 डेट
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा तिथि 07 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 15 मिनट से शुरू हो रही है. पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 08 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 31 मिनट पर होगी. उदयातिथि के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा का व्रत 8 नवंबर 2022, मंगलवार रखा जाएगा.
कार्तिक पूर्णिमा 2022 मुहूर्त कार्तिक पूर्णिमा पर सूर्योदय से पूर्व स्नान का विशेष महत्व है ऐसे में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ रहेगा.
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04.57 – सुबह 05.49 (8 नबंबर 2022)
कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान-दान के लाभ
पुराणों के अनुसार कार्तिक माह अशांति को खत्म कर संसार में समृद्धि बिखेरता है और पूरी सृष्टि मंगलमय हो जाती है।
पद्मपुराण के अनुसार कार्तिक मास में नारायण मत्स्य रूप में जल में विराजमान रहते हैं. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर नदी, तालाब या जलकुंड में स्नान और दान करने से बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है. कहते हैं इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लेता है उसके दैहिक, दैविक, भौतिकताप शांत हो जाते हैं. आरोग्य का वरदान मिलता है.
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं क्योंकि इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था. इसके बाद पुन: तीनों लोकों में धर्म को स्थापित किया गया. तभी से शिव का एक और नामकरण हुआ. महादेव त्रिपुरारी के नाम से भी जाने जाते हैं. इसी दिन देव दिवाली मनाई जाती है.
गंगा स्नान से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा में या तुलसी के समीप दीप जलाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। देव दीपावली भी मनायी जाती है। इस तिथि को ही महादेव ने त्रिपुरासूर नामक राक्षस का संहार किया था। इससे प्रसन्न होकर देवताओं ने गंगा में दीपदान किया था। इसलिए इस तिथि पर गंगा में दीप जलाकर देव दीपावली मनायी जाती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर ही मत्स्य अवतार पुराणों के अनुसार भगवान श्रीहरि ने कार्तिक पूर्णिमा पर ही मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि की फिर से रचना की थी। भगवान श्रीकृष्ण ने इसी तिथि पर रास रचायी थी। वहीं सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म भी इसी तिथि को हुआ था। बनारस में कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली मनायी जाती है।
तुलसी का अवतरण भी कार्तिक पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा को ही तुलसी का अवतरण हुआ था। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय हैं। और यह मास भी विष्णु का माना जाता है। इसलिए इसदिन गंगा स्नान,दान खास फलदायी होती है।
हरिद्वार क्षेत्र में स्नान का महत्व है भगवान विष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा पर हरिद्वार क्षेत्र उतरखंड में गंगा नदी में स्नान किया जाता है। कल्पवास,भीष्म पंचक व्रत का समापन भी कार्तिक पूर्णिमा पर ही भीष्म पंचक व्रत का समापन, हरिद्वार क्षेत्र का मेला का शुभारंभ होगा।
ऐसी मान्यता है कि इसदिन सभी देवी-देवता भी जाग जाएंगे। कार्तिक मास स्नान का भी समापन होगा। कार्तिक मास का कल्पवास भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन संपन्न होगा। प्रयाग,काशी में श्रद्धालु एक महीने तक गंगा तट पर ही रहते हैं। वहीं प्रात:काल गंगा में स्नान व ध्यान करते हैं।
अरवा चावल, जौ,तिल,मौसमी फल, लौकी में छिपाकर सिक्का दान करना चाहिए ।
विष्णु को चढ़ाएं गुलाब,मन की मुराद पूरी होगी कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु को तुलसी माला और गुलाब का फूल चढ़ाने से मन की सारी मुरादें पूरी होंगी। वहीं महादेव को धतूरे का फल और भांग चढ़ाने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलेगी। वहीं तिल स्नान से शनि दोष से राहत मिलती कार्तिक पूर्णिमा पर तिल स्नान करने से शनि दोष समाप्त हो जाते हैं। खासकर शनि की साढ़े साती, ढैय्या में। साथ ही कुंडली में पितृ दोष,गुरु चंडाल दोष,नंदी दोष की स्थिति में शांति मिलती है।
कार्तिक स्नान क्यों करते हैं
यस्मिन् मासे पौर्णमासी येन धिष्णेनसंयुता। तन्नक्षत्राह्वयो मास: पौर्णमास-तदुच्यते।।
-कार्तिक मास में सारे देवता जलाशयों में छिपे होते हैं
-भगवान श्रीहरि भी पाताल में निवास करते हैं
-इस तिथि पर गंगा स्नान से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ और सौ वाजस्नेय यज्ञ के समान फल
-सालभर के गंगास्नान और पूर्णिमा स्नान का फल मिलता है
कार्तिक पूर्णिमा क्यों है खास:-
-कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु चतुर्मास के बाद जाग्रत अवस्था में होते हैं।
-भगवान विष्णु ने इसी तिथि को मत्स्य अवतार लिया था।
-मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि की फिर से रचना की
-राक्षस त्रिपुरासूर का संहार किया -त्रिपुरासूर वध को लेकर देवताओं ने मनायी थी देव दीपावली
-भागवत पुराण के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण ने रास रचायी थी।
-सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म दिन जिले के विभिन्न नानकशाही संगतों में मनाया जाएगा ।