बिलासपुर विधुत वितरण खण्ड चार में हर महीने गड़बड़ बन रहे हैं तीन हजार बिजली बिल
– बिल सही कराने के नाम पर विद्युत् कर्मियों द्वारा लूट खसोट की जा रही है
– लाइन मैन से लेकर जेई तक बिल ठीक करने का ठेका ले रहे हैं
– एक जेई एक विशेष समुदाय के लोगों को ही टारगेट करने में लगा है
बिलासपुर। अब इसे आप गलती कहें, लापरवाही मानें, या फिर अवैध वसूली का खेल। लेकिन बिलासपुर विधुत वितरण खण्ड चार में हर महीने तीन हजार से अधिक उपभोक्ताओं के बिजली बिल गड़बड़ बन रहे हैं। ऊपर से उपभोक्ताओं को बिल ठीक कराने के लिए उपकेंद्र, जेई, एसडीओ और अधिशासी अभियंता के दफ्तरों में भटकना पड़ रहा है। हालांकि बिजली विभाग के जिम्मेदार इसके लिए आउटसोर्स कर्मियों को दोषी बता रहे हैं, लेकिन गड़बड़ी रोकने के लिए ठोस प्रयास नहीं हो रहे। इसे कैसे रोका जाएगा? इसका जवाब भी किसी के पास नहीं।
स्थिति यह है कि जिले में विद्युत वितरण के चार खंड हैं। लेकिन अकेले खंड चार में बिलिंग त्रुटिपूर्ण होने के 50 से 100 मामले हर रोज आ रहे हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार अकेले खंड चार में औसतन प्रतिदिन 50 से 100 मामले बिलिंग त्रुटि के आते है। इस प्रकार अकेले खंड चार में रोजाना 50 से 100 अधिक मामले सामने आ जाते हैं, जिनकी महीने भर में संख्या करीब तीन हजार के पार पहुंच जाती है।
विद्युत वितरण खंड चार के अधिशासी अभियंता इस तथ्य को स्वीकार भी करते हैं। हालांकि उनका दावा है कि त्रुटिपूर्ण बिलिंग पर आउटसोर्स कंपनी के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है और उनसे जुर्माना भी वसूल किया जाता है। मीटर रीडर्स पर कार्रवाई का जहां तक सवाल है तो वह आउटसोर्स कंपनी की जिम्मेदारी है। उनके अनुसार जो बिल गड़बड़ होते हैं, उनको ठीक करा दिया जाता है। लगातार यही प्रयास है कि बिलिंग की त्रुटियां कम से कम हो जाए। वहीं, उपभोक्ताओं का कहना है कि बिल में गड़बड़ी आसानी से दूर नहीं होती। अफसरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं और लोग परेशानी से बचने के लिए अतिरिक्त धन भी खर्च करते हैं।
इन वजहों से होती है बिलिंग में त्रुटि
-कई मीटर रीडर घर बैठे बिलिंग सॉफ्टवेयर में रीडिंग फीड करते हैं।
-मीटर बदलने पर बिलिंग साफ्टवेयर में विवरण की फीडिंग न होना।
-उपभोक्ता से उगाही के लिए जानबूझकर गलत रीडिंग का बिल बनाना।
गड़बड़ी की आड़ में चल रहा अवैध वसूली का खेल
बिलों की गड़बड़ी दुरुस्त कराने के नाम पर अवैध वसूली का खेल भी चल रहा है। इसमें कुछ मीटर रीडर और कर्मचारी शामिल हैं। वे रीडिंग में खेल करते हैं। जानबूझकर बिलों में त्रुटियां की जाती हैं। फिर बिल ठीक कराने का ठेका लेते हैं। एक उपभोक्ता ने बताया कि काफी दौड़ने के बाद भी बिल ठीक नहीं हुआ। बाद में बिचौलिये के जरिये समाधान हुआ।
ऐसे मामले आ रहे हैं सामने
शहर के खोंदल पुर निवासी अमरीक सिंह के ट्यूबेल का न्यूनतम रुपये बिल आता था, लेकिन अचानक चार माह बाद विभाग द्वारा 1.5 लाख का बिल थमा दिया गया। उन्होंने कहा कि जब उनके ट्यूबबैल बिजली का खर्च नहीं बढ़ा तो बिल अधिक क्यों और कैसे आ गया? वह अब बिल ठीक कराने के लिए परेशान हो रहे हैं।
शहर से सटे डिबडीबा फीडर अन्तर्गत निवासी शमेशेर सिंह का घरेलू कनेक्शन फरवरी 2023 में लिया गया। वह प्रति माह बिल जमा करते रहे। लेकिन मार्च में 18 हजार आने के बाद विभाग का चक्कर लगा रहे हैं। बताया कि 12 अंक था तो बिल ठीक आता था, लेकिन 10 अंक का बिल होने पर बढ़ कर आ गया है।