आज रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं संग्रहालय के 250 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रमों की श्रृंखला में स्टार नाईट म्यूजिकल ग्रुप, रामपुर द्वारा एक शाम शहीदों के नाम तथा चन्दन वोहरा ग्रुप, अल्मोड़ा द्वारा कुमांऊनी लोक नृत्य दर्शकदीर्घा के समस्त प्रस्तुत किया।
कार्यक्रमों की प्रस्तुति को देखकर दर्शक बहुत आनंदित हुए।
इस अवसर पर रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के निदेशक डॉ० पुष्कर मिश्र जी ने कहा कि राष्ट्र की सांस्कृतिक सम्पदा के अवशेष हमारे गौरवमय ऐतिहासिक चिन्ह स्वरूप पाण्डुलिपियों, चित्रों तथा पुस्तकों में उपलब्ध हैं। यह अमूल्य सामग्री हमारी सभ्यता, संस्कृति तथा समाज के उत्थान और उन्नति का प्रतीक हैं। आदिकाल से ही मनुष्य ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति के. लिए लिखना अथवा चित्र बनाना आरम्भ कर दिया था।
कहा कि रामपुर रज़ा लाइब्रेरी में रागमाला चित्रों का एलबम संकलित हैं, यह रागमाला भारतीय संगीत के राग व रागनियों पर आधारित दुर्लभ चित्रों की एलबम है। भारतीय चित्रकला ने भारतीय संगीत का आत्मसात कर उसके विशिष्ट गुणों का ग्रहण कर एक नया रूप प्रदान किया। जिसका अनुमान हम भारतीय संगीत एवं राग रागनियों से निकलकर आई राग रागिनी चित्रकला द्वारा जान सकते हैं। कहा कि इसी तरह इस पुस्तकालय में “संगीत सागर” नामक पुस्तक भी है।
कहा कि आज के इस कार्यक्रम में एक शाम शहीदों के नाम का आयोजन किया गया। भारतीय होने का अर्थ है कि हम उन सभी भारत की आज़ादी के लिए शहीद होने वाले तथा आज़ादी के बाद हमारी सैना पुलिस बल तथा किसी भी रूप से राष्ट्र के लिए वीरगति को प्राप्त शहीदों को सदैव याद रखें और याद करते हुए दिखाई भी दें। रामपुर रज़ा लाइब्रेरी सदाही 15 अगस्त 26 जनवरी 02 अक्टूबर जैसे राष्ट्रीय पर्वों के अवसर पर ऐंसी प्रदर्शनियों का आयोजन करती है जिसमें न केवल रज़ा लाइब्रेरी में संरक्षित पुस्तकों बल्कि उन सभी चित्रों व फोटोग्राफ की गैलरी भी प्रदर्शित की जाती है जिनका सम्बन्ध भारत के लिए अपने प्राणों की आहूती देने वाले शहीदों से होता है।
लाइब्रेरी अपने स्वर्णिम इतिहास के 250 वर्ष पूर्ण करने जा रही है। इस उपलक्ष्य में हमारा यह प्रयास है कि इन सांस्कृतिक, साहित्यिक, एवं रंगारंग कार्यक्रमों के द्वारा लाइब्रेरी में संरक्षित दुर्लभ कलाकृतियों के विषय मे भी जन मानस का भी ज्ञानवर्धन हो। इसी लिए इस अवसर पर लाइब्रेरी में दुर्लभ कलाकृतियों की प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है। आज इस मंच के माध्यम से मैं सभी शोधकर्ताओं विद्वानों एवं गणमान्य नागरिकों से आवाहन करता हूँ कि वह रामपुर रज़ा लाइब्रेरी आयें और यहाँ की संस्कृति एवं इतिहास को जानें और लाभांवित हों।

