सर्व समाज बिलासपुर की महिलाओं ने श्रद्धा पूर्वक मनाया गोवर्धन पूजा, अन्नकूट त्योहार
बिलासपुर। इन्द्र के अभिमान को चूर करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा हुई। दीपावली के उत्सव के बाद महिलाओं ने प्रदोष काल में गोवर्धन पूजा कर खुशहाली की कामना की। इस त्योहार पर महिलाओं ने गोबर से घर के आंगन में गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर पूजन किया। इस दिन गायों की सेवा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र का अभिमान चूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर संपूर्ण गोकुल वासियों की इंद्र के कोप से रक्षा की थी। इन्द्र के अभिमान को चूर करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करें। इसके बाद से ही यह पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया जाता रहा है। इस पर्व के बाद से ही अन्नकूट का आयोजन शुरू हो जाता है। विभिन्न वैष्णव मंदिरों सहित देवालयों में अन्नकूट का आयोजन कर भगवान को विभिन्न खाद्य सामग्री का भोग लगाया जाता है। अन्नकूट शब्द का अर्थ होता है अन्न का समूह। विभिन्न प्रकार के अन्न को समर्पित और वितरित करने के कारण ही इस पर्व का नाम अन्नकूट पड़ा है। इस दिन बहुत प्रकार के पकवान व मिठाई आदि का भगवान को भोग लगाया जाता है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन उत्सव मनाया जाता है। इस दिन अन्नकूट जैसा त्योहार भी सम्पन्न होते हैं। अन्नकूट या गोवर्धन पूजा की शुरुआत भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से हुई थी।
स्थानीय पंजाबी कालोनी मंदिर,शिव मंदिर रामपुर रोड बिलासपुर में सर्व समाज की महिलाओं ने मिलकर अन्नकूट का प्रसाद बनाया गया व सभी भक्तों में वितरण किया गया। इस अवसर पर डॉ राम मनोहर पाठक ,कुलभूषण शर्मा, डॉ हिमांशु शारदा ,अनिल मदान ,अशर्फी पाल ,किरण गुगलानी, दीप्ति लूथरा, प्रिया अहूजा, वंदना पाठक, प्रकाश पारुथी ,दुलारी हुड़िया ने प्रसाद वितरण व आयोजन की व्यवस्था बनाई ।