जनपद रामपुर के किसी भी सरकारी अस्पताल के पास नहीं है फायरब्रिगेड की एनओसी
रामपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर की तरह रामपुर के सरकारी चिकित्सालयों में भी लोगों की जिंदगी से बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है। जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल के पास फायर ब्रिगेड की एनओसी नहीं है। दमकल विभाग कई बार स्वास्थ्य अफसरों को पत्र लिखकर अग्निशमन यंत्र और एनओसी के लिए अवगत करा चुका है।
जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 1500 मरीज आते हैं। इमरजेंसी में करीब दो सौ मरीज पहुंचते हैं। वार्ड में भर्ती प्रत्येक मरीज के तीन से चार तीमारदार भी सुबह से शाम तक साथ रहते हैं। रात के समय भी एक से दो तीमारदार साथ रहते हैं। जिला चिकित्सालय रामपुर, सामुदायिक चिकित्सालय बिलासपुर, जिला महिला अस्पताल रामपुर, 80 बेड राजकीय चिकित्सालय मिलक और 13 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी मरीजों की प्रतिदिन भीड़ लगी रहती है। इनमें से किसी भी अस्पताल के पास फायर एनओसी नहीं है। महिला अस्पताल ने फायर विभाग से एनओसी ली थी। वर्ष 2018-19 में यह एनओसी एक्सपायर हो चुकी है। इसके बाद से अस्पताल प्रशासन ने रिनुअल नहीं कराया।
187 निजी अस्पताल और लैब में मात्र 9 के पास है एनओसी
जिले के निजी अस्पतालों और लैब का भी यही हाल है। स्वास्थ्य विभाग में 187 निजी अस्पताल, पैथोलॉजी लैब पंजीकृत हैं। इनमें से सिर्फ 9 के पास दमकल विभाग की एनओसी है। कई निजी अस्पताल ऐसी जगह स्थित हैं, जहां अग्निशमन वाहन भी नहीं पहुंच सकता। जन अस्पतालों में प्राथमिक अग्निशमन उपकरण रखे हैं, वहां के कर्मियों को इसे चलाने का प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया।
निरीक्षण में नहीं मिलते मानक
दमकल अफसरों के अनुसार समय-समय पर सरकारी और निजी चिकित्सालयों का निरीक्षण किया जाता है तो किसी में भी मानक पूरे नहीं मिलते। पूर्व में निरीक्षण के दौरान कई चिकित्सालयों में अग्निशमन उपकरण एक्सपायर मिल चुके हैं।
अग्निशमन विभाग से एनओसी लेने के यह है मानक
दमकल अफसरों के अनुसार भवन का नक्शा पास होना चाहिए। निर्माण से पहले ऑनलाइन आवेदन कर विभाग की प्रोविजनल एनओसी ली जानी चाहिए। भवन तैयार होने के बाद व संचालन से पहले फाइनल एनओसी दी जाती है। क्षेत्रफल के हिसाब से छत पर 10 हजार लीटर का टेरिस टैंक, उस पर 900 एलपीएम का पंप, फायर इंस्टीग्यूजर, प्रत्येक फ्लोरपर हौजरील, मैनुअल फायर अलार्म सिस्टम, धुआं निकालने के लिए एग्जॉस्ट फैन, भवन में न्यूनतम दो जीने अनिवार्य हैं।
बचाव के लिए ये होने चाहिए इंतजाम
अस्पताल में फायर उपकरण लगे होने चाहिए। स्मोक डिटेक्टर (फायर अलार्म) पानी के लिए टू वे प्वाइंट, रैंप, 450 एलपीएम लगा होना चाहिए। 200 स्क्वायर फीट एरिया के अस्पताल में पानी का टैंक व स्प्रिंकलर लगा होना चाहिए। अस्पताल तक फायर वाहन पहुंचाने की जगह होनी चाहिए। अस्पताल में कम से कम दो गेट होने चाहिए।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से बिना फायर एनओसी मांगे ही अस्पताल संचालन के लिए लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं। जिले में 9 निजी अस्पतालों के पास ही फायर एनओसी है। जिला अस्पताल समेत अन्य सरकारी चिकित्सालय और निजी अस्पतालों के भवनों के पास फायर एनओसी नहीं है। जिला महिला अस्पताल की एनओसी तीन वर्ष पूर्व एक्सपायर हो चुकी है। – अंकुश मित्तल, मुख्य अग्निशमन अधिकारी
सरकारी चिकित्सालयों में रजिस्ट्रेशन न होने के कारण फायर एनओसी अनिवार्य नहीं होती। निजी अस्पताल में पंजीकरण के दौरान फायर एनओसी मांगी जा रही है। सभी सरकारी चिकित्सालयों में अग्निशमन यंत्र रखे हुए हैं। समय-समय पर दमकल की टीम निरीक्षण करती रहती है। – सीएमओ रामपुर