बिलासपुर विकास खंड खुद अपने विकास के लिए मोहताज, बना भ्रष्टाचार का अड्डा
बिलासपुर। वर्षों से विकास की राह देख रहा विकासखंड बिलासपुर आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। जिस कार्यालय से करोड़ों रुपए की विकास योजनाएं संचालित होती हैं वह अपने जीर्णोद्धार की बाट देख रहा है। विकासखंड की अधिकांश इमारत खस्ताहाल है जिस भवन में बैठकर 113 ग्राम पंचायतों को स्वच्छ और सुंदर बनाने का खाका तैयार किया जाता है। उसकी खिड़की, दरवाजे, रोशनदान और छत बदहाली के शिकार हैं। विकासखंड में बना तकनीकी सहायक,रोजगार सेवक और प्रधानों के बैठने का कक्ष पूरी तरह से जर्जर हो चुका है।
जर्जर कक्ष कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकता है। रोशनदान, दरवाजे व खिड़कियां टूटी पड़ी हैं। शौचालय और पेशाब घर में गंदगी की भरमार है। ऐसे में गंदगी से जूझ रहे विकास खंड के अफसर कागजों में गांवों को ओडीएफ बनाने का दम भर रहे हैं। यहां काम करने वाले कर्मचारी शौचालय व सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। वर्षों से बिल्डिंग की रंगाई पुताई तक नहीं हुई है।
कहने के लिए यहां से लगभग 113 ग्राम पंचायतों का बजट निर्धारित होता है क्षेत्र पंचायत का अपना खुद का भी एक बजट होता है परंतु विकास खंड कार्यालय के रखरखाव के लिए जो बजट आता है पता नहीं वह किस मद में इस्तेमाल किया जाता है विकासखंड बिलासपुर जनपद रामपुर की सबसे महत्वपूर्ण विकासखंड है
नेशनल पुलिस न्यूज़ ने आगे से विकासखंड बिलासपुर के भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए कमर कस ली है यहां होने वाले भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करना जनहित में आवश्यक हो गया है कार्यालय में बैठे सभी अधिकारियों को भी एक संदेश है कि वह या तो अपनी कार्यशैली को बदल ले और सरकार की मंशा के अनुरूप लोगों की समस्याओं का निस्तारण करने में तत्परता दिखाएं अन्यथा उनके भ्रष्टाचार को सरकार तक पहुंचाने का कार्य नेशनल पुलिस न्यूज़ स्वयं करेगा परंतु इसकी हालत को देखकर ऐसा लगता है कि शायद यह कार्यालय सिर्फ दिखावे के लिए ही बना है अब तो यह हालत हो गए हैं विकासखंड बिलासपुर पर एक आदत पूर्णकालिक खंड विकास अधिकारी की भी नियुक्ति नहीं हो पा रही है वर्तमान खंड विकास अधिकारी राजेश कुमार बिलासपुर ब्लॉक में ही बैठते हैं । लेकिन उन्होंने भ्रष्ट्राचार की चरम सीमा को तोड़कर नया रिकॉर्ड बना डाला है । ग्राम प्रधान से लेकर रोज़गार सेवक तक भ्रष्ट्राचार से पीड़ित हैं । प्रत्येक कार्य के लिए बीडीओ राजेश कुमार को अपना कमीशन चाहिए। क्षेत्र के ग्राम प्रधानों ने हमारे संवाददाता से बातचीत करते हुए बताया कि मनरेगा के तहत मैटेरियल चार्ज के नाम पर जब तक बीडीओ राजेश कुमार को कमीशन न दे दिया जाए । उन्हें पेमेंट नहीं होता इस कार्य के लिए एक एक वर्ष लग जाता है । ग्रामीण लोग अपनी समस्याओं को लेकर शायद ही कभी खंड विकास अधिकारी से मिल पाते हो ऐसे में आप खुद ही समझ सकते हैं कि ग्रामीणों को अपने काम कराने के लिए बीडीओ द्वारा छोड़े गए दलालों का सहारा लेना पड़ता है क्योंकि कर्मचारी तो मिलेंगे नहीं तो उनके अप्पू चप्पू ही काम कराने के लिए लोगों से रिश्वत लेते हैं