जनपद रामपुर में बिना लाइसेंस के शराब परोस रहे नब्बे फीसदी से अधिक होटल-रेस्टोरेंट ओर ढाबे:
आबकारी के सिपाहियों के संरक्षण में चल रहा है अबैध धंधा
रामपुर । जनपद में एक हजार से ज्यादा होटल रेस्टोरेंट व ढाबे हैं, लेकिन शराब परोसने का लाइसेंस सिर्फ आधा दर्जन से कम के पास ही है। जबकि आबकारी अधिकारियों और होटल इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का भी मानना है कि नब्बे फीसदी होटल-रेस्टोरेंट व ढाबे बार लाइसेंस बिना ही शराब परोस रहे हैं।
अधिकारियों को इसकी जानकारी होने के बाद भी किसी होटल,रेस्टोरेंट व ढाबे पर कार्रवाई नहीं हो रही है। इससे सरकार को फीस के लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। शराब परोसने के लिए आबकारी विभाग से सालाना फीस देकर बार लाइसेंस लेना होता है। इसके लिए एक निर्धारित सालाना फीस जमा करानी होती है। साथ ही पार्किंग, कमर्शियल लैंड, बैठने की व्यवस्था सहित अन्य शर्तें पूरी करनी होती है। जानकारों के मुताबिक बार लाइसेंस लेने की प्रक्रिया बहुत जटिल है और फीस बहुत ज्यादा है, जबकि सीजन 10 महीने का ही होता है, इसमें इतनी कमाई नहीं कि लाखों की लाइसेंस फीस जमा कराई जा सके।
लोगों कहना है कि अवैध शराब की सूचना देने और शिकायत करने के लिए फोन करने पर रामपुर के जिला आबकारी अधिकारी फोन ही नहीं उठाते या अधिकतर फोन बंद मिलता है। अवैध शराब की सूचना देने या एमआरपी से ज्यादा लेने वालों की शिकायत डीईओ” रामपुर को फोन कर सकते हैं।
नाबालिग परोसते हैं शराब : होटल,ढाबे और रेस्टोरेंट में कई ऐसे हैं जहां बिना लाइसेंस के शराब बेची जाने के साथ ही नाबालिग बच्चों से यह काम कराया जा रहा है। यहां चौदह-पंद्रह साल तक के बच्चे शराब परोसते हैं। रामपुर से लेकर उत्तराखण्ड तक बने ढाबों में दस साल तक के कई बच्चों से यही काम कराया जा रहा है। लेकिन पुलिस-प्रशासन खामोश है।
जिम्मेदारों की नाक नीचे फल-फूल रहा अवैध शराब बेचने का कारोबार : ऐसे ढाबों, होटल, रेस्टोरेंट पर पुलिस,आबकारी निरोधक दल, प्रशासनिक अधिकारी,चाइल्ड हेल्पलाइन से संबंधित लोग कार्रवाई कर सकते हैं। लेकिन इन्हीं जिम्मेदार लोगों की लापरवाही से यह अवैध शराब परोसने का काम फल-फूल रहा है।
रामपुर जनपद में एक हजार होटल-रेस्टोरेंट ढाबों में जानकारों के मुताबिक नब्बे फीसदी बिना बार लाइसेंस शराब परोस रहे हैं। ऐसे में अगर पांच सौ बार भी बिना लाइसेंस के लिए जाएं और औसतन आठ लाख एक बार लाइसेंस की फीस जोड़ें तो सरकार को हर साल 40 करोड़ रुपए रेवेन्यू का नुकसान हो रहा है।
जनपद में एक हजार से ज्यादा होटल-रेस्टोरेंट ओर ढाबे हैं। बार लाइसेंस की प्रक्रिया बहुत जटिल और फीस बहुत ज्यादा है। आठ-दस लाख सालाना फीस देना और पार्किंग, सिटिंग कैपेसिटी सहित अन्य आबकारी बार लाइसेंस की शर्तें बहुत जटिल हैं। फीस कम हो और प्रक्रिया सरल की जाए तो अधिकतर होटल-रेस्टोरेंट लाइसेंस के लिए आवेदन करेंगे। अध्यक्ष, होटल एसोसिएशन रामपुर।