पश्चिम बंगाल के बाऊडीया में बना मां तपेश्वरी माता मंदिर
नेशनल पुलिस न्यूज़
मनीष उपाध्याय, हावड़ा बावरिया, बंगाल के हावड़ा ग्रामीण के बावड़िया में जुगोष्ठी क्लब की तरफ से 2024 में 56वा दुर्गा पूजा का उत्सव मनाया जा रहा है इस नवरात्रि में क्लब की तरफ से माता-तापेशावरी मंदिर का थीम बनाया गया है टीएमसी के युवा मोर्चा के प्रेसिडेंट आकाश रजक और तीन नंबर वार्ड के काउंसलर डॉ सुमन शापुई से बातचीत में उन्होंने यह बताया कि हर साल वह नवरात्रि में कुछ अलग तरह के पंडाल का निर्माण किया गया है और चतुर्थी से नवमी तक पंडाल में संध्याकाल के समय विशेष तरह की प्रोग्राम का भी आयोजन करेगे बातचीत में उन्होंने बताया कि आज इस पंडाल का उद्घाटन है और संध्या काल के समय स्थानीय नृत्य का प्रोग्राम भी है साथी वस्त्र वितरण का भी प्रोग्राम उनके द्वारा किया जा रहा है! आकाश रजक यह भी बताया कि पूजा पंडाल घूमने आए दर्शनधीयो किसी भी तरह की असुविधा न हो इसका ख्याल
रखा जाएगा, आकाश रजक से बातचीत में उन्होंने बताया की दुर्गा पूजा बंगाल का एक प्रमुख पूजा है इसमें लोगों के माध्यम से पंडाल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें उसमें पूजा की जाती है और समस्त ग्रामवासी उसे देखने के
लिए आते हैं दुर्गा पूजा इतना ही मशहूर है कि बंगाल के लोग ही नहीं बल्कि इसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग दुर्गा पूजा मनाने और पंडाल देखने कोलकाता आते हैं!! तपेश्वरी माता मंदिर पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में स्थित एक
प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो देवी तपेश्वरी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला, ऐतिहासिक महत्व और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्यः
यह मंदिर 14वीं शताब्दी में बनाया गया था। मंदिर की वास्तुकला बंगाली शैली में है। मंदिर में देवी तपेश्वरी की प्रतिमा स्थापित है। यहाँ नवरात्रि और दुर्गा पूजा के दौरान विशेष पूजा और उत्सव आयोजित किए जाते हैं। आज जहां तपेश्वरी मंदिर है, वहां पहले घना जंगल था और मां गंगा वहीं से बहती थीं. नवरात्रि के मौके पर मां तपेश्वरी मंदिर में भक्तों की असीम आस्था दिखाई मान्यता है कि मा सीता, भगवान राम को पाने के लिए कानपुर के बिठूर में स्थित तपेश्वरी मंदिर में तपस्या करती थीं. मां सीता के साथ कमला, विमला, और सरस्वती भी तप करती थीं. इसी वजह से इस मंदिर का नाम तपेश्वरी पड़ा. मां सीता ने पुत्र की कामना के लिए यहां तप किया था और भगवती सीता के तप से ही तपेश्वरी माता का प्राकट्य हुआ था.