जनपद रामपुर में गौरैया के संरक्षण के लिए शुरू हुआ ‘दाना-पानी’
-विश्व गौरैया दिवस 20 मार्च
गौरैया के संरक्षण का फिर बीड़ा उठाया है। लोगों को घोंसले बांटे जा रहे हैं। स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसकी शुरुआत आज विश्व गौरैया दिवस पर की गई।
-गौरैया को कभी नमक वाला खाना नहीं डालना चाहिए, नमक उनके लिए हानिकारक होता है। प्रजनन के समय उनके अंडों की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। आंगन और पार्कों में कनेर, नींबू, अमरूद, अनार, मेहदी, बांस, चांदनी जैसे पौधे लगाएं। गौरैया छोटे पेड़ों या झाडियों में भी घोसला बनाती थी। वह बबूल,कनेर, नींबू, अमरूद, अनार, मेहंदी, बोस, चांदनी आदि पेड़ों को पसंद करती है। लेकिन ये पेड़ भी बहुत कम संख्या में बचे हैं। ऐसे में इन पेड़ों को लगाने की जरूरत है। – राजीव कुमार डीएफओ रामपुर
-गौरैया के संरक्षण का फिर बीड़ा उठाया है। लोगों को घोंसले बांटे बांटे जा रहे हैं। स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसकी शुरुआत विश्व गौरैया दिवस शुरू कर दी है । अमित कुमार सिंह वन क्षेत्राधिकारी डंडियां सामाजिकी वानिकी वन क्षेत्र बिलासपुर
-गर्मी के दिनों में अपने घर की छत पर बर्तन में पानी भरकर रखें। बालकनी, छत और पार्कों में गौरैया को खाने के लिए कुछ रखें। बाजार से लकड़ी के चिड़िया के घर खरीदकर लाएं और उसे घर के बाहर सुरक्षित जगह पर लटका दें। मुजाहिद हुसैन वन क्षेत्राधिकारी आरक्षित वन क्षेत्र पीपली स्वार रेंज
रामपुर। एक समय था जब घर-घर में गौरैया दिखती थीं, लेकिन समय के साथ पक्के मकानों और कम होते जंगलों के कारण गौरैया के कुनबे भी कम हो गए, जिसका असर पर्यावरण पर भी पड़ रहा है। ऐसे में आंखों से ओझल हो रही गौरेया को बचाने के लिए ‘दाना पानी’नाम की पहल शुरू की गयी है।
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गैर सरकारी संस्था दाना-पानी पिछले एक वर्ष से गौरेया के संरक्षण के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में वन विभाग कार्य कर रहा । वन विभाग की प्रधान मु्ख्य वन संरक्षक बताती हैं, “खेतों में चिड़ियों को भगाने के लिए ‘काग भगोड़े’ यानी ‘स्केयर क्रो’ का उपयोग किया जाता है। इस ‘स्केयर क्रो’ को हमने ‘केयर क्रो’ के रूप में बदल दिया है। इस ‘केयर क्रो’ के ऊपर हम घोसला बनाते हैं, जहां चिड़िया अपना घर बसाती है। मेट्रो शहरों के कई स्कूलों ओर सोसाइटी में ‘केयर क्रो’ को लगवाया है ताकि विलुप्त हो रही चिड़िया फिर से वापस आ सके।”
दुनिया भर में गौरैया पक्षी के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। विश्व गौरैया दिवस पहली बार वर्ष 2010 में मनाया गया था। दाना-पानी पहल के बारे में गौरव बताते हैं, “गौरेया की घटती संख्या का मुख्य कारण है, भोजन-पानी की कमी और पेड़ों का कटान। वन विभाग द्वारा शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य यह है कि लोग इस पहल को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाए ताकि आने वाले समय में उनको स्वस्थ पर्यावरण मिले।”
दूसरे देशों में भी घट रही इन पक्षियों की संख्या
ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों में इनकी संख्या जहां तेज़ी से गिर रही है। मगर नीदरलैंड में तो इन्हें ‘रेड लिस्ट’ के वर्ग में रखा गया है। गौरेया को बचाने की कवायद में उत्तर प्रदेश सरकार ने गौरेया को राजपक्षी घोषित करने पर विचार कर रही है। बिलासपुर के रहने वाले पर्यावरणविद, पक्षी प्रेमी व सामाजिक कार्यकर्ता जयदीप गुप्ता बताते हैं, “बढ़ती मॉडर्न टेक्नोलॉजी ने चिड़ियों का सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। गौरैया की आबादी में 60 से 80 फीसदी तक की कमी आई है। यदि इसके संरक्षण के उचित प्रयास नहीं किए गए तो हो सकता है कि गौरैया इतिहास का प्राणी बन जाए और भविष्य की पीढ़ियों को यह देखने को ही न मिले। लोगों को ऐसे पेड़ों को लगाना चाहिए जहां उनको भोजन भी मिल सके।”
आओ विश्व गौरैया दिवस पर शपथ लें । उसके संरक्षण के लिए सभी मिल जुल कर प्रयास करें ।वन विभाग की गौरैया को बचाने की पहल सफल हो रही है। घोंसले पुनः दिखने लगे और गौरैया आंखों के सामने उड़ रही है। धीरे धीरे यह संख्या बढ रही है। इसके संरक्षण के लिए स्कूल कालेजों में गौरेया दिवस पर शपथ दिलाई जा रही है कि हम सभी गौरेया के संरक्षण के लिए कार्य करेंगे।
आज स्वार रेंज, बिलासपुर रेंज के वन क्षेत्राधिकारीयों द्वारा विभिन्न स्कूलों में विश्व गौरेया दिवस पर भाषण प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया ।