लखनऊ । आज के व्यावसायिक युग में उत्पादों को शीघ्रता से उपभोक्ताओं तक पहुचाना सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि होती है। इससे जुड़े सभी लोगों को लाभ होता है। उ0प्र0 सरकार ने इस कार्य में बड़ा सराहनीय कार्य किया है। विगत तीन वर्षों में व्यवसाय में सहजता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) में 12 स्थानों का अभूतपूर्व सुधार करते हुए भारत में दूसरा रैंक प्राप्त करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के अनवरत प्रयासांे के परिणामस्वरूप अब उत्तर प्रदेश ने लॉजिस्टिक्स ईज अक्रॉस डिफरेंट स्टेट्स (लीड्स) (लॉजिस्टिक्स की सुलभता) में दो वर्षों में 7 स्थानों का उल्लेखनीय सुधार करते हुए देश स्तर पर 6वां रैंक प्राप्त किया है। लीड्स 2021 सर्वेक्षण में यह किसी भी राज्य द्वारा सबसे ऊंची छलांग है और उत्तर प्रदेश को ’शीर्ष सुधारकर्ता’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। पांच के पैमाने पर 3.25 के स्कोर के साथ उत्तर प्रदेश ने अवस्थापना सुविधाओं की उपलब्धता और गुणवत्ता, लॉजिस्टिक्स सेवाओं की उपलब्धता तथा विश्वसनीयता, परिचालन एवं नियामक वातावरण आदि के मापदंडों पर अपने प्रदर्शन मंे जबरदस्त सुधार किया है। यह प्रदेश सरकार के सक्रिय संचालित निर्बाध कनेक्टिविटी के लिए लॉजिस्टिक्स के विकास हेतु किए गए उपायों का परिणाम है।
राज्य सरकार द्वारा यूपी इन्वेस्टर्स समिट-2018 के दौरान इस क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए एक नीति घोषित की थी। इस नीति के अंतर्गत ब्याज सब्सिडी, भूमि उपयोग और विकास शुल्क में छूट, स्टाम्प शुल्क एवं इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी में छूट तथा कौशल विकास सब्सिडी सहित अनेक आकर्षक प्रोत्साहन प्रदान किए गए हैं। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार ने लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को उद्योग का दर्जा प्रदान किया है तथा लॉजिस्टिक्स में संचालन की लागत को कम करके उत्तर भारत में लॉजिस्टिक्स में निवेश के लिए प्रदेश को एक अनुकूल गंतव्य स्थापित किया है। प्रदेश में लॉजिस्टिक्स के समग्र विकास हेतु राज्य सरकार ने एक व्यापक एकीकृत राज्यस्तरीय लॉजिस्टिक्स योजना विकसित की है। इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा सम्पूर्ण राज्य में निर्यात केंद्रों को लाभ पहुंचाने के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी और कार्गाे परिवहन सुनिश्चित करने का अच्छा प्रबन्धन रहा। उद्योगों की सुविधा हेतु आपूर्ति श्रृंखलाओं (सप्लाई चेन) और भण्डारण (वेयरहाउसिंग) सुविधाओं के विकास के लिए अपर मुख्य सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय लॉजिस्टिक्स प्रकोष्ठ (सेल) तथा लॉजिस्टिक्स योजना की प्रगति और कार्यान्वयन के अनुश्रवण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक राज्यस्तरीय लॉजिस्टिक्स समन्वय समिति का गठन किया गया है। लॉजिस्टिक्स सेक्टर के विकास हेतु अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव को नोडल अधिकारी नामित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तथा उत्तरी, पूर्वी एवं पश्चिमी आर्थिक केंद्रों के निकट होने के कारण उत्तर प्रदेश को अप्रतिम लाभ प्राप्त है। सुदृढ़ रेल एवं रोड नेटवर्क के साथ ’एक्सप्रेसवेज के राज्य’ में लॉजिस्टिक्स सेक्टर का भविष्य उज्ज्वल है। दिल्ली-मुंबई इण्डस्ट्रियल कोरिडोर (डी0एम0आई0सी0) का 8.5 प्रतिशत तथा अमृतसर-कोलकाता इण्डस्ट्रियल कोरिडोर (डी0एम0आई0सी0) का 57 प्रतिशत आच्छादित क्षेत्र उत्तर प्रदेश में है, जिसमें लॉजिस्टिक्स सेक्टर के लिए प्रदेश हेतु अनेक अवसर हैं। इन दोनों कोरिडोर का जंक्शन ग्रेटर नोएडा में है, जिससे यह उत्तरी भारत में सबसे बड़ा लॉजिस्टिक हब बन गया है। ग्रेटर नोएडा के जेवर में भारत के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों में से एक आगामी नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के विकास से राज्य के लाभ में वृद्धि होगी। राष्ट्रीय जलमार्ग-1 के साथ राज्य मंे बनाए गए वायु, जल, सड़क एवं रेल नेटवर्क का कनेक्टिविटी तंत्र उद्योगों एवं विनिर्माण इकाइयों को परिवहन के विभिन्न माध्यमों का निर्बाध रूप आवश्यकतानुसार उपयोग करने में मदद करेगा, क्योंकि वे अपने उत्पाद भारत एवं विदेशों के बाजारों में भेजते हैं।
लीड्स 2021 की रिपोर्ट के अनुसार देश में उत्तर प्रदेश में अधिकतम कोल्ड स्टोरेज की क्षमता के 39.84 प्रतिशत अंश के साथ सबसे अधिक संख्या में रेलवे गुड शेड्स (689) और कोल्ड स्टोरेज (2406) है। उ0प्र0 में लॉजिस्टिक्स में प्रशिक्षित व्यक्तियों की उच्चतम संख्या के साथ प्रशिक्षण केंद्रों की अधिकतम संख्या है। चूंकि उत्तर प्रदेश भारत सरकार की गतिशक्ति अवस्थापना योजना के माध्यम से एकीकृत बुनियादी ढांचे के विकास को सहकारी संघवाद (कोऑपरेटिव फेडरलिज्म) को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानता है, अतः लीड्स में राज्य का उच्च प्रदर्शन उत्तर प्रदेश द्वारा नये भारत के निर्माण को सशक्त करने में योगदान का प्रमाण है।