बरेली। इज्जतनगर थाने के निकट निवासी रबर फैक्ट्री बरेली में कार्यरत फ्रांसिस पौल जिनकी पत्नी श्रीमती आशा पौल प्रधानाचार्य सैंट्रल स्कूल एयर फोर्स स्टेशन के पद पर कार्यरत थीं और उनका एक पुत्र व एक पुत्री का परिवार था। यह परिवार आम सम्पन्न परिवार की तरह जीवन यापन कर रहा था। पौल परिवार कभी कभी चर्च भी चला जाता था।
एक बार फ्रांसिस पौल मित्र स्व दास के आग्रह पर देहरादून बाइबिल कालेज के कार्यक्रम में चले गये जहां वह प्रार्थना के बीच कन्फेशन बाक्स में खड़े हो घंटों मौन अश्रु प्रवाहित करते रहे यहां तक कि चर्च का प्रार्थना हाल भी खाली हो गया।
बरेली लौट के आने के बाद वे पूर्णतया आध्यात्मिक हो गये और उन्होंने समस्त व्यसन त्याग दिये यहां तक कि उस समय का एक मात्र मनोरंजन का साधन चलचित्र देखने जाना भी उन्होंने बन्द कर दिया। इसी बीच उन्हें बीयाबान जंगल जो वर्तमान में डिफैन्स कालोनी इज्जतनगर है में चर्च स्थापना का ईश्वरीय आदेश हुआ।
जहां चांह वहां राह उन्हें शमूअल एस सिंह ने जमीन दान में देदी। जमीन मिलने के बाद स्व फ्रांसिस रबर फैक्ट्री में ओवर टाइम करने के एक सूत्रीय कार्यक्रम में संलग्न हो गये और इससे प्राप्त धन चर्च को समर्पित कर दिया।
श्री पौल के साथ मून राबिन्स, स्टेनली एस सिंह, एम जेकब, एंजेला जेकब, किशन लाल, पार्ली लाल, सिरिल लाल, एस त्यागी, सनी फैडरिक, सुशील पौल ने अन्य क्रिश्चियन के सहयोग से 17 अक्टूबर 1975 में चर्च का शिलान्यास कर उसे वर्ष 1985 में वर्तमान स्वरूप दिया।
वर्तमान में चर्च निर्माण के पहल कर्ता स्व फ्रांसिस पौल के पुत्र संजय पौल मुख्य पादरी हैं व ऐनोश मैसी सहायक पादरी हैं। यह एक मात्र ऐसा चर्च है जो किसी देशी या विदेशी संस्था से सम्बद्ध नहीं है और न किसी देशी या विदेशी संस्था से दान लेता है। चर्च एक पंजीकृत सोसायटी द्वारा संचालित है जिसका खर्च सोसायटी के लोग, सैण्ट पौल कान्वेंट इंग्लिश स्कूल व अन्य ईसाई जन वहन करते हैं। आज यह चर्च डिफैन्स कालोनी इज्जतनगर में घनी आबादी के बीच स्थित है।
जिस समय माता पिता की एक मात्र इच्छा होती थी कि उनका पुत्र डाक्टर या इंजीनियर बने उस काल में स्व फ्रांसिस ने अपने इकलौते पुत्र संजय को धार्मिक शिक्षा दिलाई। अमर रहें महान फ्रांसिस पौल।