बिलासपुर में मंडी शुल्क की चोरी में कुछ आढ़तियों और कर्मचारियों के बीच गठजोड़
– हाल ही में एक आड़ती द्वारा किसानों से नंबर दो में माल खरीद कर उनको पेमैंट न करने का मामला प्रकाश में आया है इस मामले में भारी अनियमिता व मंडी शुल्क की चोरी हुईं
– अनियमिताओं के कारण मंडी सहायक को सस्पेंड किया गया
-मंडी शुल्क चोरी की जांच निष्पक्ष हो
बिलासपुर । कृषि उत्पादन मंडी समिति बिलासपुर में कुछ आड़ती व कर्मचारियो की मंडी शुल्क की सुनियोजित तरीके से हो रही चोरी तो जिम्मेदार है। इसके अलावा कुछ आढ़ति, राइस मिलर्स से लेकर मंडी के कर्मचारियों के बीच बना गठजोड़ भी प्रमुख वजह माना जा रहा है। सिक्स आर पर्ची पर बाजार रेट से कम रेट अंकित करके मंडी शुल्क को पलीता लगाया जाता है, जिसके अलावा दूसरे भी हथकंडे अपनाए जाते हैैं। मंडी गेट से बिना इंट्री के अनाज भरे वाहनों को निकाल दिया जाता है तो वहीं बाहर की मंडियों से आने वाली द्वितीयक आवक की इंट्री नहीं की जाती है।
मंडी में अनाज की आवक बढ़ने के बावजूद मंडी शुल्क घटने के पीछे पूर्व में तैनात रहे सचिवों की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है। पिछले दो वर्षों के दौरान मंडी 15 प्रतिशत घाटे में रही। जबकि तीन वर्षों में एक प्रतिशत माइनस में रही। वर्ष 2019-20 में 33.13 करोड़ रुपये मंडी शुल्क वसूली का लक्ष्य पूरा करने में जब अधिकारियों के पसीने छूटे, तो मामले की पड़ताल शुरू हुई। इससे चौंकाने वाले राज बाहर आने लगे हैं। सूत्र बताते हैं कि मंडी समिति के अंदर काम करने वाले कुछआढ़ति, राइस मिलर्स और कर्मचारियों के बीच गठजोड़ बना है, जो मिलीभगत से मंडी शुल्क को चूना लगा रहे हैं।
कम स्टाफ भी मंडी शुल्क में चोरी की वजह
जनपद रामपुर की सबसे बड़ी बिलासपुर मंडी में कम स्टाफ का होना भी मंडी शुल्क में चोरी की एक वजह माना जा रहा है। यहां पर मंडी निरीक्षक के छह पद सृजित हैं, लेकिन एक मंडी निरीक्षक ही तैनात है। पर्यवेक्षकों के दो पद हैं, लेकिन इनसे दूसरे काम कराए जा रहे हैं। इससे निगरानी तंत्र कमजोर हुआ है।
मंडी शुल्क में चोरी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसके पड़ताल में संकेत मिले हैैं। कम स्टाफ की वजह से भी निगरानी सही तरीके से नहीं हो पा रही है। इसलिए उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है।