रामपुर का स्वास्थ्य विभाग ‘अंधा’, झोलाछाप कर रहे मौत का धंधा
– बिलासपुर के नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप बंगालियों का आतंक
– छोटे से बड़ा भी आपरेशन कर रहे हैं बंगाली झोलाछाप
– ग्राम टैमरा,धावनी हसनपुर में तो
झोलाछाप ठेके पर केंसर जैसी गंभीर बीमारी का ठेके पर इलाज कर रहा है

– सीएमओं को महीना दे रहे हैं बंगाली झोलाछाप
बिलासपुर। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते झोलाछाप लोगों को स्वस्थ करने के बजाय उनको मौत के मुंह में ढकेल रहे हैं। इस तरह की घटनाएं पहले भी कई बार हो चुकी हैं। ताजा मामला बुधवार का ही है, यहां पास के गांव टेमरा में एक मरीज का इलाज बंगाली झोलाछाप ने किया ओर उसकी तबीयत ओर खराब हो गई। शहर के बाहरी इलाकों और देहात में झोलाछापों ने खुद को डॉक्टर घोषित कर रखा है। इनमें से कुछ बिना डिग्री के डॉक्टर हैं तो कुछ अवैध डिग्रियों वाले। यह कथित डॉक्टर हर मर्ज के इलाज की गारंटी लेते हैं और जब केस बिगड़ जाता है तो फिर हाथ खड़े कर देते हैं। कुछ मरीज इन झोलाछापों के इलाज से मौत के मुंह में समा चुके हैं तो कुछ की हालत बिगड़ चुकी है। कई बार जमकर हंगामा भी हुआ है। इन झोलाछापों पर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते अंकुश नहीं लग पा रहा।
झोलाछापों के खिलाफ बने हैं सख्त कानून
झोलाछापों के खिलाफ सख्त नियम कानून हैं। यदि कोई अप्रशिक्षित और अप्राधिकृत व्यक्ति किसी मरीज का इलाज करे तो उसके खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 419, 420,120 बी के अलावा इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट की धारा 15(3) के तहत कड़े दंड का प्रावधान है। इस एक्ट में दो साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा यदि उसकी डिग्री फर्जी हैं तो उसके खिलाफ धारा 468, 471 के तहत भी कार्रवाई का प्रावधान है। साथ ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के सेक्शन 18/27 के तहत कार्यवही का प्रावधान है
इस साल अभी तक किसी बंगाली झोलाछाप को नहीं गया नोटिस
इसके विपरीत स्वास्थ्य विभाग इन झोलाछापों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाता। शासन के आदेश हैं कि समय-समय पर निरीक्षण कर यह देखा जाए कि कोई झोलाछाप प्रेक्टिस तो नहीं कर रहा लेकिन यहां कार्रवाई केवल नोटिस तक सीमित रहती है। शिकायत मिलने पर उसे नोटिस जरूर दिया जाता है। पिछले साल 70 कथित बंगाली झोलाछाप डॉक्टरों को नोटिस दिए गए थे। 8 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई लेकिन गिरफ्तारी किसी की नहीं हुई। इस साल तो अभी तक किसी को नोटिस तक नहीं भेजा गया।
डिलीवरी से लेकर सर्जरी तक होती है बंगाली झोलाछापों के यहां
यह झोलाछाप महज उल्टी-दस्त, बुखार का ही इलाज नहीं करते, बल्कि गुपचुप तरीके से अपने बड़े-बडे़ नर्सिंग होम तक खोल रखे हैं। वहां ऑपरेशन तक की व्यवस्था हो जाती है। डिलीवरी से लेकर सर्जरी तक झोलाछापों के नर्सिंगहोम में हो जाती है। यही नहीं कु छ झोलाछाप और ज्यादा शातिर दिमाग से काम कर रहे हैं। झोलाछाप ने अपने क्लीनिकों व नर्सिंगहोम के बाहर डिग्रीधारक डॉक्टरों के बोर्ड लगवा रखे हैं। यह डिग्रीधारक डॉक्टर तो वहां आते नहीं है। ऐसे में नर्सिंगहोम का पूरा काम यही झोलाछाप करते हैं। इन नर्सिंगहोम पर स्वास्थ्य अधिकारी भी नहीं जाते।
स्वास्थ्य विभाग नहीं करता डिग्रियों का गहनता से परीक्षण
काफी झोलाछाप तो ऐसे हैं, जिन्होंने खुद को बंगाली डॉक्टर, जर्राह, वैद्य, हकीम व अन्य डिग्री धारक घोषित कर रखा है। स्वास्थ्य विभाग कभी इनकी डिग्रियों का गहनता से परीक्षण नहीं करता। दूर-दूर के राज्यों की फर्जी डिग्रियों से यह झोलाछाप डॉक्टर बन गए हैं। यही नहीं कई बार तो शहर के कुछ नामी गिरामी हॉस्पिटल में कुछ डॉक्टरों की डिग्रियों पर सवाल खड़े हुए हैं। वैसे भी स्वास्थ्य विभाग और पुलिस के आपसी तालमेल के अभाव में इन झोलाछापों के खिलाफ छापेमारी नहीं हो पाती। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बिना फोर्स के छापेमारी करने जाने में हिचकते हैं।
झोलाछापों के बारे में आरटीआई के तहत मांगी सूचना
आरटीआई एक्टिविस्ट मिसर्यार खां ने सीएमओ ऑफिस के जनसूचना अधिकारी से जनसूचना अधिकार के तहत झोलाछापों के बारे में सूचना मांगी है। उन्होंने जानकारी मांगी है कि वर्ष 2007 से लेकर अब तक झोलाछापों के इलाज से कितने केस बिगड़े। कितने मरीजोें की मौत हुई है। कितने मामलोें में रिपोर्ट दर्ज हुई है और कितने झोलाछापोें की गिरफ्तारी हुई है। अभी तक कितने झोलाछाप फरार चल रहे हैं और कितने मामले विचाराधीन हैं। झोलाछापों के खिलाफ कब-कब क्या-क्या विभागीय कार्रवाई अमल में लाई गई। यदि झोलाछाप के इलाज से किसी मरीज की मौत होती है तो स्वास्थ्य विभाग खुद संज्ञान लेते हुए नियमानुसार कार्रवाई कर सकता है या नहीं। इस मामले में किन-किन अधिकारियों को कौन-कौन सी शक्तियां प्राप्त हैं।