रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं संग्रहालय (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार)
रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं संग्रहालय के 250 वर्ष पूर्ण होने पर पुस्तकालय प्रांगण में सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रमों की श्रृंखला का आयोजन 02 से 07 अक्टूबर 2024 तक किया गया है।
इस अवसर पर आज दिनांक 05 अक्टूबर 2024 को शाहिद व समी नियाज़ी और साथियों द्वारा कव्वाली का प्रस्तुतिकरण किया गया तत्पश्चात पर्णा साहना, नई दिल्ली द्वारा ओडिसी नृत्य का प्रदर्शन किया गया। जिसको श्रोताओं व आमंत्रित अतिथियों द्वारा हृदय से सराहा गया।
इस अवसर पर रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं संग्रहालय के निदेशक डॉ० पुष्कर मिश्र जी ने कलाकारों व उपस्थित गणमान्य अतिथियों, श्रोताओं एवं मीडिया का धन्यवाद किया और कहा कि रज़ा पुस्तकालय के 250 वर्ष पूर्ण होने के उत्सव का चौथा दिन है। शाहिद व समी नियाज़ी और साथियों द्वारा कव्वाली तथा पर्णा साहना, नई दिल्ली द्वारा ओडिसी नृत्य का प्रदर्शन की शानदार प्रस्तुति हुई। कहा यही हमारे भारत की ताकत है कि आप भारत के किसी भी कोने में चले जायें, पूर्व से पश्चिम उत्तर से दक्षिण तक भाषायें, वेशभूषा, बोली, पहनावा और खान पान अलग हो सकतें हैं। लेकिन कोई ऐसी बात है जो भारत वर्ष को एक सूत्र में पिरोती है, क्योंकि वह हमारी भावनाओं में है। हमारी चेतना का जो निर्माण हुआ है, उसी भारत-चेतना की विभिन्न प्रस्तुतियाँ हमें पूरे भारतवर्ष में दिखाई पड़ती हैं।
कहा कि समस्त रामपुर भी रज़ा पुस्तकालय परिवार का हिस्सा है। इसीलिए हमने समस्त आयोजनों में सभी को खुला निमंत्रण दिया है कि रामपुर के लोग इस महोत्सव में अधिक से अधिक विना रोक टोक शामिल हो सकें। इसके अतिरिक्त इन आयोजनों का रज़ा पुस्तकालय के फेसबुक व यूट्यूब चैनल पर लाइव प्रसारण भी किया जा रहा है, जिसको सभी रामपुर वासियों तथा देश वासियों को देखना चाहिये और सब्स्क्राइव करके शेयर भी करना चाहिये। इस प्रकार हमारी यह कोशिश है कि भारत के विविध रंगों को रज़ा पुस्तकालय के माध्यम से केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के सामने लाया जा सकें।उन्होने कहा कि आज पूरे विश्व में जहाँ एक दूसरे पर वर्चस्व स्थापित करने का संघर्ष चल रहा है वहीं रामपुर रज़ा पुस्तकालय और भारत, समन्वय की बात करते हुए सबको साथ लेकर चलने की बात कर रहा है।
कहा कि बहुत पहले जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में मेरा एक भाषण हुआ था, उस समय मेरे कुछ वामपंथी मित्रों ने कहा कि भारत एक बहुराष्ट्रीय राज्य है। उसका प्रतिकार करते हुए मैंने कहा कि डोगरी संस्कृति का प्रभाव पंजाबी पर, पंजाबी का हरियाणवी पर, हरियाणवी संस्कृति का प्रभाव ब्रज पर, ब्रज का प्रभाव अवध पर, अवध का प्रभाव भोजपुरी पर, भोजपुरी का मैथली पर, मैथली का बंगाली पर, बंगाली का असमियां पर, असमियां का प्रभाव अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की संस्कृति पर है। इसी प्रकार उत्तर से दक्षिण तक यह प्रभाव पूरे भारत में दिखाई पड़ेगा और आप सब इन कार्यक्रमों के माध्यम से इसका अनुभव भी कर रहे होंगे, कहीं भी आप विभाजन की एक भी रेखा नहीं खींच सकते, यह है भारत। जब विश्व में यह बात चल रही है कि हमें विभिन्न विचारों को साथ लेकर चलना है तभी इस भूमण्डलीयकरण के युग में हम अपना आस्तित्व बचाकर रख पायेंगे। पूरी धरती के बड़े-बड़े विचारक भारत की ओर देख रहे हैं। भारत ही आने वाले समय में उन सबको मार्ग दिखायेगा और इसमें रामपुर रज़ा पुस्तकालय अपनी भूमिका निभायेगा।
इस अवसर पर रज़ा पुस्तकालय का सुन्दर भवन पूर्णतः लाइटों द्वारा सजाया गया है, जो लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। इसी सुन्दर भवन की संगमरमर की सुन्दर सीढ़ीयों व सुसज्जित मेहराब में रामपुर के गणमान्य लोगों ने महोत्सव की समस्त प्रस्तुतियों का देर रात तक आनंद लिया तथा तालियों से कलाकारों का अभिवादन किया।
इस महोत्सव के कार्यक्रमों का संचालन डॉ० रबाब अंजुम, उद्घोषिका आकाशवाणी, रामपुर द्वारा सफलतापूर्वक किया गया।
इस अवसर पर शहर के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।