फ़ार्मेसी कौंसिल ऑफ इंडिया (PCI) ने फर्जी दस्तावेज से कॉलेज मान्यता लेने वालों व जारी करने वाले फार्मेसी कॉलेजों को दी वार्निंग, जानिए इसकी वजह
-अंडर सेक्शन 12 फार्मेसी एजुकेशन रेगुलेशन व फार्मेसी एक्ट 1948 में कॉलेजों द्वारा पीसीआई की मान्यता लेने के चक्कर में फर्जी डिग्री, मेनुप्लेट डिग्री लगाकर ली जा रही है मान्यता
-एक डिग्री कई कई कालेजों राज्यों में लगी है डिग्री धारक को पता नहीं
-पीसीआई मान्यता के लिए डिग्री को आधार से लिंक करना अनिवार्य हो
रामपुर। यदि पीसीआई को गलत सूचना/ धोखाधड़ी दस्तावेज का मामला संज्ञान में लाया गया तो पीसीआई गलत जानकारी/ धोखाधड़ी दस्तावेज जमा करने के लिए संस्था के प्रधान, अध्यक्ष/ सचिव/ संस्था के अध्यक्ष/ सचिव के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर सकता है।
आईपीए ने किया स्वागत
इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष ने PCI की इस वार्निंग का स्वागत करते हुए कहा कि इस आदेश से फार्मेसी की शिक्षा में सुधार होगा। अगर फिर भी कोई हिमाकत करेगा तो उसके मालिक और स्टाफ पर पीसीआई आपराधिक मुकदमे दर्ज कराएगी और कॉलेज को बंद करा दिया जाएगा। अब कोई पूरी मेहनत ओर ईमानदारी से पढ़ाई करेगा वही फार्मासिस्ट बनेगा। फर्जी कागजों के आधार पर कोई फार्मासिस्ट नहीं बन पाएगा।
उत्तर प्रदेश में 3 से 5 लाख में बिक रही हैं फ़ार्मेसी की डिग्रियां
इधर इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष जयदीप गुप्ता ने उत्तर प्रदेश के कुछ डिम्ड यूनिवर्सिटयों द्वारा 3-5 लाख रुपए में हर किसी को घर बैठे फ़ार्मेसी की डिग्रियां बेचने की जानकारी फ़ार्मेसी कौंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. मोंटू कुमार पटेल को भेजी है।
जयदीप कुमार गुप्ता ने कहा है कि राज्य के अधिकतर फ़ार्मेसी कॉलेज 3-5 लाख रुपए में हर किसी को घर बैठे फ़ार्मेसी की डिग्रियां बेच रहे हैं। कॉलेज में टीचर न रख कर केवल उनके दस्तावेज कुछ रुपए में किराए पर ले रखे थे। अधिकतर फ़ार्मेसी कॉलेजों में एक भी क्लास नहीं लगती थी। डिग्री भी दूसरे व्यक्ति की लगा रखी है । जिसकी डिग्री लगी है उसे यह मालूम नहीं कि उसकी डिग्री किस कॉलेज की फेकल्टी में लगी है।
जयदीप गुप्ता ने बताया कि ये कॉलेज और उनके दलाल किसी भी झोला छाप फर्जी डॉक्टर को पहले तो 18 हजार रुपए में NIOS (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल) से पहले दसवीं कक्षा पास कराते थे। फिर विज्ञान विषय से बाहरवीं कक्षा पास करवाते हैं और फिर खुद की कॉलेज से फार्मसी की डिग्री दे देते हैं। ये गोरख धंधा कई वर्षों से चल रहा है। अभी हाल ही में 100 के लगभग व्यक्तियों को फर्जी कागजों के आधार पर उत्तर प्रदेश फ़ार्मेसी कौंसिल ने पकड़ा था।