जनपद में बिना लाईसेंस जनरल स्टोर व किराना की दुकानों पर बेची जा रही दवाएं, कार्रवाई नहीं
रामपुर । दवाओं की बिक्री के लिए बी-फार्मा, डी फार्मा या मेडिकल साइंस में डिग्री होना अनिवार्य है। इसी आधार पर लोगों को मेडिकल संचालन के लिए लाइसेंस जारी किया जाता है। लेकिन मौ,कस्बे, तहसील,मजरे, गांवों में बिना लाइसेंस के जरनल स्टोर व किराना की दुकानों पर खुलेआम दवाएं बेची जा रही हैं। इन दुकानदारों के पास न तो खुद के लाइसेंस हैं। इसके बाद भी जिम्मेदारों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
मालूम हो कि नगर में ज्यादातर जरनल स्टोर की दुकानों पर लोगों को स्क्रीन साफ करने के लिए विभिन्न प्रकार की क्रीमों के साथ क्लो विटामिन जी, पेंड्रम, बेटनोबेट एन, स्किन शाइन, स्कारलाइट, केलाइट, डाइकोलोविन, एसिलॉक, जैसी दवाएं और ट्यूब बेचे जा रहे हैं। यह दुकानदार महिलाओं को झांसा देकर त्वचा के लिए हानिकारक क्रीम थमा देते हैं। जिसकी वजह से लोगों में त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। लोगों का कहना है कि ज्यादातर जरनल स्टोर की दुकानों पर दवाओं व क्रीमों का उपयोग किया जा रहा है। जो लोगों तक महंगे दामों में पहुंचाई जाती हैं। ऐसे में स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के चलते ये दुकानदार खुलेआम दवाएं बेच रहे हैं।
लाइसेंसी थोक विक्रेता दे रहे हैं इन जरनल स्टोरों को दवाएं
जनपद में थोक लाइसेंसी दवा विक्रेता भारी मात्रा यह प्रिस्क्रिप्शन ड्रग्स सीधे जरनल स्टोरों,किराना स्टोरों, झोलछाप डॉक्टरों को ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर गली मोहल्लों में दवा की बिक्री कर रहे हैं जिसके कारण आम जनता के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है । इन दुकानों पर नकली,सबस्टेंडर्ड, स्पुरियस,मिसब्रांडेड ड्रग्स की खुलेआम बिक्री हो रही है । यह बाज़ार में बहुत कम दामों पर बेची जा रही है । ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 रूल्स 1945 में प्रावधान है कि नियम 65 में यह समस्त दवाएं लाइसेंस की शर्तों पर ही बिक्री हो सकती है ।ऐसे में ड्रग इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध प्रतीत होती है
किराने की दुकान में बिक रहीं दर्द निवारक दवाएं
भाई साहब एक हरा पता देना.. सिर में दर्द है। आजकल किसी परचून या केमिस्ट की दुकान पर ये शब्द बोलते अनेक लोग मिल जाएंगे, क्योंकि सिर के दर्द से राहत दिलाने वाली दर्द निवारक गोलियों की पहचान ही हरे पत्ते के रूप में है। सिर के दर्द से राहत दिलाने वाले ये हरे पत्ते प्रत्येक कस्बे व नगर की केमिस्ट यहां तक कि परचून की दुकानों पर भी आसानी से उपलब्ध है।
बदलते मौसम के बीच जहां वायरल, खांसी, जुकाम का प्रकोप बढ़ा है वहीं इन बीमारियों से राहत के लिए पीड़ित व्यक्ति चिकित्सक से उपचार व सलाह की बजाय प्रेसक्रिप्सन टेबलेट का प्रयोग कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्र की बात की जाए तो यहां पर परचून की दुकानों में भी यह टेबलेट आसानी से उपलब्ध है। दुकानदार ग्राहक को बिना किसी चिकित्सक की सलाह से यह गोली बेरोकटोक बेच रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों के दुकानदार किसी थोक केमिस्ट से एक बड़ी खेप इन दवाइयों की लाते हैं तथा मात्र 40 पैसे की गोली को एक से दो रुपये तक में बेचकर भारी मुनाफा कमाते हैं। सरकार द्वारा प्रतिबंधित दवाइयां भी गांव से लेकर कस्बों तक में आसानी से मिल रही हैं, प्रतिबंधित दवाइयों को दुकानदार व केमिस्ट अपनी दुकानों में न रखकर घरों व अन्य स्थानों पर रखते हैं तथा ग्राहकों से मांग होने पर भारी कीमत वसूल कर बेचते हैं। इनमें कुछ दवाइयां ऐसी भी हैं जिनका अत्यधिक सेवन रोगी को इनका आदी बना देता है तथा इनसे रोगी किसी भयंकर बीमारी का शिकार हो जाता है। जब तक रोगी को पता लगता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। दवा खाने वाले को यह भी नहीं पता कि उसको कितनी मात्रा की कितनी खुराक लेनी चाहिए।
मजेदार बात यह है कि ग्रामीण इलाकों के रोगी चिकित्सकों के पास इलाज कराने नहीं पहुंचते तथा छोटी-मोटी बीमारी जैसे सिर दर्द, पेट दर्द, उल्टी दस्त, जी मिचलाना, बदन दर्द एवं बुखार के लिए किराने की दुकान से दवाएं लेते हैं। दुसरी ओर स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन के पास इस बारे में जानकारी होने पर भी उक्त दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती जिससे इनके हौसले बुलंद हैं।