औषधि माफियाओं व नकली कॉस्मेटिक प्रोडक्ट विक्रेताओं के आगे नतमस्तक दिख रहे हैं- औषधि निरीक्षक ऊधम सिंह नगर: नीरज कुमार
जयदीप गुप्ता,गीता आर्या,नितिन गर्ग व शंकर गुप्ता पत्रकार-निष्पक्ष,निर्भीक व निर्णायक। जुनून सच लिख दिखाने का, ऊधम सिंह नगर उत्तराखण्ड से।
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ऊधम सिंह नगर (उत्तराखण्ड)। क्षेत्र के गांव गांव में मेडिकल स्टोर व झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है चाय की गुमटियों जैसी दुकानों में बिना रजिस्ट्रेशन के मेडिकल स्टोर की आड़ में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। जहां भारी मात्रा शेड्यूल एच व शेड्यूल ड्रग्स का स्टॉक मौजूद है। जिन्हें जनपद के ही थोक व्यापारी ड्रग्स उपलब्ध कराते रहें हैं। मरीज चाहें उल्टी, दस्त, खांसी बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी सभी बीमारियों का इलाज यह मेडिकल स्टोर पर झोलाछाप कैमिस्ट व डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खास बात यह है कि अधिकतर मेडिकल स्टोर के संचालकों व झोलाछाप डॉक्टरों को किसी न किसी राजनैतिक व्यक्ति,औषधि निरीक्षक एवं सीएचसी का संरक्षण प्राप्त है। शायद इसीलिए झोलाछाप डॉक्टरों के हौसले बुलंद हैं जो गांव-गांव कस्बा मोहल्लों के गली-गली में छोटे बड़े मेडिकल स्टोर, क्लीनिक व हॉस्पिटल बिना क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 के अनुपालन किए बिना व बिना किसी रजिस्ट्रेशन व मानक/ नियमों को पूर्ण कर बेरोकटोक धड़ल्ले से खोलकर संचालन कर इलाज के नाम पर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसे ही सुंदरता की चाह रखने वाले युवा लड़कियां एवं महिलाओं को नामी-गिरामी कंपनियों के नकली प्रोडक्ट बाजार की थोक व फुटकर दुकानें पटी पड़ी है और बेरोकटोक धड़ल्ले से दुकानदारों द्वारा बिक्री की जा रही है। इसके साथ ही जिले थोक विक्रेता ही इन्हें वेटनोवेट एन, वेटनोवेट सी, पैंडर्म प्लस प्लस, मेडिसलिक, स्कार लाइट भारी मात्र में इनको दे रहें। जो सभी ड्रग्स की श्रेणी में आती हैं। ओर इन नकली प्रोडक्टों के इस्तेमाल से त्वचा संबंधित रोग एवं बालों का गिर जाना तेजी से देखा जा रहा है। लेकिन इन सब बातों से औषधि निरीक्षक है अनजान या इनके संरक्षण से क्षेत्र में बेरोकटोक धड़ल्ले से क्षेत्र में संचालित हैं मेडिकल स्टोर व मेडिकल स्टोर नुमा क्लीनिक एवं नकली कॉस्मेटिक प्रोडक्ट की थोक व दुकानें व बड़े-बड़े शोरूम। हमारी टीम व मीडिया कर्मी द्वारा किये गए एक सर्वे के मुताबिक पहले हम बात करते हैं मेडिकल स्टोर व मेडिकल स्टोर नुमा क्लीनिक की तो ऊधम सिंह नगर क्षेत्र में अनेकों कुकुरमुत्तों की तरह उगे मेडिकल स्टोर,मेडिकल स्टोर युवा क्लीनिक एवं हॉस्पिटल नगर व गांवों के गली मोहल्लों में बेखौफ,बेरोकटोक एवं धड़ल्ले से संचालित है। अधिकतर मेडिकल स्टोर पर बिना डॉक्टर के लिखें पर्चे और बिल बनाए दवाओं की बिक्री एवं बिना फार्मासिस्ट के उपस्थित में मरीजों को हर प्रकार की बीमारियों में हरी,लाल,पीली,नीली दवाइयों की धड़ल्ले से पुड़िया बनाकर बिक्री की जाती है। कई मेडिकल स्टोर और क्लीनिकों में अंतर ही नहीं दिखाई देता यहां तो मरीजों को हर मर्ज की दवा दी जाती है और साथी ही इंजेक्शन लगाने के साथ बोतलें भी चढ़ाई जाती है बिना डॉक्टर और फार्मासिस्ट के। एक मेडिकल स्टोर संचालक ने नाम ना छापने की शर्त पर दबी जुबान बताया कि ऊधम सिंह नगर क्या पूरे जनपद में 90 परसेंट मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट नहीं बैठते हैं मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट के शीशे में मड़े हुए सर्टिफिकेट तो टंगे हुए दिखाई तो देते हैं लेकिन 30 हजार रुपए सालाना के पैकेज लेने वाले फार्मासिस्ट कभी कभार ही मेडिकल स्टोर पर दिखाई देते हैं वह भी एक दो घंटों के लिए ही। अधिकांश तो बिलकुल ही दिखाई ही नहीं देते। इसके एवज में औषधि निरीक्षक को ऊधम सिंह नगर क्षेत्र के ही दलाल मेडिकल स्टोर संचालक के द्वारा क्षेत्र के सभी मेडिकल स्टोर से निर्धारित चढ़ावा वसूल कर दिया जाता है। ठीक इसी प्रकार त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले नकली कॉस्मेटिक प्रोडक्ट जैसे लक्मी,फेरन लवली जैसे आनेको प्रोटेक बाजारों की थोक व फुटकर दुकानों में उपलब्ध है और धड़ल्ले से इनकी बिक्री की जा रही है और इसके भी है एवज में औषधि निरीक्षक को छमाही और सालाना का चढ़ावा दलालों द्वारा पहुंचाया जाता है। औषधि निरीक्षक को सोचना चाहिए क्या जनपद में जितने भी मेडिकल स्टोर संचालित है उतनी ही फार्मासिस्ट डिग्री डिप्लोमा धारक भी मौजूद है जनपद में या नहीं। यह जांच का विषय है।
पक्ष जानने के लिए नीरज कुमार औषधि निरीक्षक ऊधम सिंह नगर के मोबाइल नंबर से संपर्क करना चाहा लेकिन फोन नहीं उठा।
औषधि निरीक्षक यहां के बड़े बड़े दवाओं के निर्माताओं द्वारा दी गई महंगी लग्जरी कार से खानापूर्ति कर शाम को बड़े बड़े होटलों में इन बड़े दवा निर्माताओं के साथ बैठते हैं । जहां इन्हें सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है ।
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मेडिकल स्टोर के लिए नियम व शर्तें
मेडिकल स्टोर का लाइसेंस शर्तों पर जारी किया जाता है जिसमें दवा की बिक्री, दवा का प्रर्दशन व दवा का स्टॉक करना होता है।
मेडिकल स्टोर के लिए कुछ आवश्यक नियम व शर्तें होती हैं जिनका पालन करना जरूरी होता है। इन नियमों और शर्तों की जानकारी कुछ इस प्रकार है:-
उसे ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 रूल्स 1945, फॉर्मेसी एक्ट 1948, औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश 2013, एनडीपीएस एक्ट व उत्तराखण्ड ड्रग प्रशासन द्वारा समय समय पर जारी आदेशों का पालन अनिवार्य है।
मेडिकल स्टोर संचालक के पास व्यवसाय का GST रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है।यदि वह उस दायरे में आता हो । इसके साथ उसके पास श्रम विभाग का रजिस्ट्रेशन व खाद्य पदार्थों के लिए रजिस्ट्रेशन या लायसेंस होना अनिवार्य है।
मेडिकल स्टोर पर रेफ्रीजिरेटर होना अति आवश्यक है। ताकि शेड्यूल सी व सी 1की औषधियां एक निर्धारित तापमान पर रखी जा सके। मेडिकल स्टोर का लाइसेंस एक निश्चित जगह के लिए ही दिया जाता है उसके लिए अनुमोदित मानचित्र होना अनिवार्य है।
मेडिकल स्टोर के वर्किंग हॉर्स के दौरान फार्मासिस्ट का स्टोर में मौजूद होना बहुत जरूरी है। उसके पास फार्मासिस्ट की डिग्री होना आवश्यक होता है। उसी के द्वारा ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 रूल्स 1945 के नियम 65(2) फॉर्मेसी एक्ट 1948 के सेक्शन 42 के तहत रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिशनर के प्रिस्क्रिप्सन पर दवाओं की आपूर्ति की जा सके लेकिन वह बिना शेड्यूल एन की कंपलाइनस के प्रिस्क्रिप्सन पर डिस्पेंसिंग ओर कंपाउंडिंग नहीं कर सकता । उसके लिए उसे प्रपत्र 20 व 21 पर फॉर्मेसी का लाइसेंस होना अनिवार्य है।