सम्बद्ध अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा) (
दिनांक: 26.11.2024
केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों और एसकेएम के आवाहन पर भारत की महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित संयुक्त ज्ञापन
महामहिम राष्ट्रपति राष्ट्रपति भवन, भारत सरकार नई दिल्ली।
द्वारा: जिलाधिकारी महोदय रामपुर, उत्तर प्रदेश।
आदरणीय महामहिम,
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आवाहन पर हम जिला मुदि के मजदूर और किसान आज पूरे भारत सहित अपने मुद्दों को उठाने और उनके निवारण की मांग के लिए संयुक्त विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
महोदया, भारत के संविधान दिवस के अवसर पर आज से चार साल पहले दिनाँक 26 नवंबर 2020 को औद्योगिक मजदूरों, खेत मजदूरों और किसानों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति, चार श्रम संहिताओं एवं तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ तथा फसलों के लाभकारी मूल्य तय किये जाने की मांगों को लेकर किसानों एवं मजदूरों ने देश की संसद की ओर अपना ऐतिहासिक मार्च शुरू किया तथा राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर महान किसान आंदोलन शुरू हुआ, जो 13 महीने चलने के बाद मांगों को पूरा करने के लिये सरकार के लिखित आश्वासन के बाद स्थगित हुआ। लेकिन सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के साथ 9 दिसंबर 2021 को हुए लिखित समझौते का उल्लंघन किया है। किसानों के साथ हुए समझौते की शर्तों को पूरा करने के बजाय उल्टे अपनी जनविरोधी नीतियों के द्वारा मजदूरों, किसानों सहित आम जनता पर लगातार हमलावर हो रही है।
भारत के मेहनतकश लोगों को एनडीए 3 सरकार की नीतियों के कारण गहरे संकट का सामना करना पड़
रहा है। सरकार की नीतियों का उद्देश्य कारपोरेट घरानों को ही समृद्ध बनाना है। इसीलिए अनुबंध खेती को बढ़ावा देने और फसल पैटर्न को खाद्यान्त्र उगाने से बदलकर वाणिज्यिक फसलें उगाने की योजनाएँ चल रही है, जो कॉरपॅर्पोरेट बाजार को पर्याप्त आपूर्ति करने में मददगार हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के एफसीआई और केंद्रीय भंडारण निगम को अडानी और अंबानी जैसी बड़ी कॉरर्पोरेट
कंपनियों को किराए पर दिया जा रहा है। कृषि क्षेत्र में व्याप्त तीव्र संकट के कारण लाखों ग्रामीण युवा शहरों की ओर पलायन कर रहे है और मजदूरों की संख्या में भारी वृद्धि हो रही है।
केंद्र सरकार चार श्रम कोड के माध्यम से मजदूरों के अधिकारों को खत्म कर रही है। न्यूनतम मजदूरी, सुरक्षित रोजगार, काम के घंटे आदि में फेर बदल कर दिया गया है। सरकार की निजीकरण, ठेकाकरण और भर्ती न करने की नीतियां मौजूदा श्रमिकों और नौकरी चाहने वाले युवाओं को गुलामी की ओर धकेल रही हैं। सभी ट्रेड यूनियने मजदूरों के संगठन बनाने के मूल अधिकार की मांग के साथ ही पुरानी पेंशन योजना की बहाली, सेवानिवृत्ति अधिकार, खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा की मांग को लेकर संघर्ष कर रही हैं।
सरकार ने खाद्य सब्सिडी में 60,470 करोड़ रुपये की कटौती की है। कई राज्यों में नकद हस्तांतरण योजना के माध्यम से पीडीएस को ध्वस्त कर दिया गया है। बाजार में भोजन बहुत महंगा हो गया है। श्रमिकों और गरीब लोगों का भोजन से वंचित होना पड़ रहा है। औद्योगीकरण एवं विकास के नाम पर कृषि भूमि का जबरन अधिग्रहण किया जा रहा है। वास्तव में यह अधिग्रहण कारपोरेट घरानों और कुछ अमीरों के मनोरंजन, सुविधाओं,
वाणिज्यिक उपयोग, पर्यटन, रियल एस्टेट आदि के लिए ही है। कॉरपॅर्पोरेट जगत स्मार्ट मीटर, मोबाइल नेटवर्क के उच्च रिचार्ज टैरिफ, बढ़ते रोड टोल टैक्स, रसोई गैस,
डीजल और पेट्रोल की कीमतों और जीएसटी और उच्च बिजली दरों के माध्यम से अधाह दौलत कमा रहा है। इसके
विपरीत, कामकाजी लोग किसान, औद्योगिक और कृषि मजदूर और मध्यम वर्ग अपनी जीविका के लिए कर्ज का बोझ झेल रहे हैं। ग्रामीण भारत में मजदूरों की मजदूरी बहुत कम है। जबकि सरकार ने कॉरपोरेट घरानों के 16.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज माफ कर दिए हैं। लेकिन किसानों और मजदूरों को कर्ज मुक्त करने से इनकार किया जा रहा है।
अतः उन तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ भव्य संघर्ष की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर 26 नवंबर 24 को अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन करते हुए हम तमाम मजदूर और किसान संगठन आपकी सेवा में यह ज्ञापन आपको इस उम्मीद के साथ भेज रहे हैं कि आप देश की इन दो प्रमुख उत्पादन शक्तियों किसानों और मजदूरों के पक्ष में हस्तक्षेप करते हुए केन्द्र सरकार को हमारी मांगो को पूरा करने के लिए निर्देशित करेंगी।
हमारी 15 सूत्रीय मुख्य मांगें निम्नवत हैं।
01- स्वामीनाथ आयोग की संतुति के अनुसार सभी फसलों की खरीद के लिए C2-50% के फार्मूले के आधार पर
न्यूनतम लाभकारी मूल्य (MSP) गारंटी कानून बनाओ 02 – कर्जे के दवाब में किसानों एवं मजदूरों की
आत्महत्या मामलों को रोकने के लिए व्यापक ऋण माफी योजना लागू की जाये तथा सभी किसानों व मजदूरो के निजी एवं बैंकों के सभी कर्जे माफ करो 03- बिजली का निजीकरण करना बन्द करो। प्रीपेड स्मार्ट मीटर पर रोक लगायी जाय। कृषि पंपों और घरेलू
उपभोक्ताओं और दुकानों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाये।
04 – जंगली आवारा पशुओं तथा बंदरों से किसानों की फसलों की बर्वादी पर रोक तथा जनता को मुक्ति दिलाओ। 05- सभी फसलों के लिए व्यापक सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा योजना लागू की जाय और प्राकृतिक आपदा तथा बीमारी से नुकसान हुई फसलों का ₹30000 प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए।
06- कारपोरेट घरानों के हित के लिए अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण को रोका जाय। भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को लागू करो तथा अनावश्यक भूमि अधिग्रहण पर रोक लगाओ।
07 किसानों एवं आम जनता के हित में कृषि यंत्रों, कीटनाशक दवाईयों, बीजों और रासायनिक खादों से जी०एस०टी० तथा डीजल पेट्रोल से टैक्स हटाओ । 08- बंद पड़ी चीनी मिलों को तुरंत चालू करो तथा 530रू प्रति क्विटल गन्ने का रेट घोषित करो और रुके हुए गन्ना
मूल्य का तुरन्त भुगतान कराओ। 09- सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण बंद करो तथा सरकारी एवं अर्ध सरकारी विभागों में अस्थाई व संविदा कर्मियों को
स्थाई नौकरी दो और ठेकेदारी प्रथा समाप्त करो।
10- चारों श्रम सहिताओं को रद्द करो पुराने श्रम कानून लागू करो। सभी के लिए रोजगार सुनिश्चित करो। सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेन्सन योजना को बहाल करो।
11- असंगठित क्षेत्र के सभी मजदूरों एवं आंगनबाड़ी आशा एवं रसोईया को ₹26000 मासिक वेतन दो तथा इन्हें
सरकारी कर्मचारी का दर्जा दो और इनकी सामाजिक सुरक्षा की गारण्टी करो।
12 – मनरेगा का बजट बढ़ाया जाए और साल में 200 दिन का काम और 600 रुपये दैनिक मजदूरी दी जाए।
13 – सभी वृद्ध लोगों, विधवाओं और विकलांगों को दी जाने वाली पेन्सनों की राशि Rs 10000 मासिक की जाय।
14 – महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रही हिंसा को समाप्त किया जाए।
15- शिक्षा व्यवस्था का निजीकरण करना बन्द किया जाए तथा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 27764 सरकारी स्कूलों
को बंद करने का फैसला वापस लो।
निवेदक
अखिल भारतीय किसान सभा, उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा, अखिल भारतीय किसान सभा उत्तर प्रदेश जिला इकाइयां रामपुर, उत्तर प्रदेश
कामरेड कधीराम गंगवार शब्बू खा हराराम